ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
श्री नागणेच्या माता का मंदिर राव धूहड़जी, तत्कालीन खेड़ प्रदेष के शासक ने सन् 1305 ई. में स्थापित किया था। राव धूहड़जी ने नागणेच्या खांप राठौड़ों को कुल देवी की पूजा-अर्चना करने का आदेष व अधिकार दिया था। उन्होंने अपनी कुल देवी के नाम जमीन दी थी जिससे मंदिर का रख-रखाव व विस्तार हो सके। कालान्तर में राठौड़ो ने मारवाड़ राज्य की स्थापना की तथा निरन्तर राज्य की ओर से पूजा दस्तूर भेंट किया जाता रहा है। यह राठौड़ वंष की कुल देवी है तथा राजपूत जाति के साथ कई जातियाँ जैसे ओसवाल, राजपुरोहित, घांची, प्रजापती, सुनार, मेघवाल, कलावंत आदि की कई उपजातियां इन्हें कुल देवी के रूप में मानती है। इस धाम में सभी जाति के लोगों की आस्था है अतः यह मंदिर मारवाड़ का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। नागणेचीजी सत युग में मंचा देवी, त्रैता युग में राठेष्वरी, द्वापर में पंखीणीदेवी, और कलयुग में नागणेचिया देवी के नाम से जानी जाती रही है। इन्हे चक्रेष्वरी के नाम से भी जाना जाता है। नागाणा गांव में नीम के पेड़ के नीचे स्थापित करने के पष्चात् नागणेचीयाजी नाम प्रसिद्ध हुआ। कुलदेवी की पूजा-परम्परा हमारे धर्म के अन्तर्गत प्राचीनकाल से चली आ रही है। हिन्दू समाज में कोई भी वंष (कुल) ऐसा नहीं होता, जिसमें कुलदेवी की नियमित पूजा न की जाती हो।
About Us
श्री नागाणा ट्रस्ट मारवाड़ के राठौड़ वंश की कुलदेवी श्री नागणेच्या माताजी के प्राचीन मन्दिर के जीर्णोद्धार, सुरक्षा, संरक्षण एवं विधि-विधान से श्री नागणेच्या माताजी की पूजा-अर्चना के निमित्त कार्य करता है।
श्री नागणेच्या माताजी का यह पाट स्थान होने से यहाँ पर लाखों भक्त दर्शन हेतु आते हैं। वर्ष में चैत्री व आसोजी नवरात्रा उत्सव एवं प्रति दिवस श्री माताजी की आरती तथा पूजा परम्परा से निर्बाध रूप से होती रही है, जिसका कुशल प्रबंधन करना ट्रस्ट का प्रमुख उद्देश्य है।
ट्रस्ट का गठन
दिनांक 25.3.2007 को राव धूहड़ जयन्ती एवं नागणेच्या माता पाटोत्सव के अवसर पर महाराजा गजसिंहजी जोधपुर की अध्यक्षता में एक विषाल जनसभा का आयोजन किया गया जिसमें तत्कालीन महामहिम उप-राष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह जी मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम मारवाड़ के गणमान्य साधु-सन्तों के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
इस सभा में मंदिर की समस्याओं पर विचार-विमर्ष हुआ तथा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस ऐतिहासिक तीर्थ स्थान के सुचारू रूप से संचालन व मन्दिर के जीर्णोद्धार हेतु एक ट्रस्ट का गठन किया जाए।
इस जनादेष के क्रियान्वयन में दिनांक 5.05.2007 को मां नागणेच्या माता ट्रस्ट, नागाणा का विधिवत गठन हुआ, जिसका पंजीयन दिनांक 24.09.2007 को देवस्थान विभाग, राजस्थान सरकार में हुआ जिसकी पंजीयन संख्या 02/2007/बाड़मेर है।
न्यासीगण
इस ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष महाराजा गजसिंहजी है तथा विषिष्ठ उपाध्यक्ष महारानी हेमलता राज्ये है। ट्रस्ट के न्यासीगणो की सूची निम्न प्रकार हैः-
क्र.सं. | नाम | पद |
1 | महाराजा गजसिंहजी उम्मेद भवन पैलेस, जोधपुर |
अध्यक्ष |
2 | महारानी हेमलता राज्ये उम्मेद भवन पैलेस, जोधपुर |
विशिष्ट उपाध्यक्ष |
3 | रावल किशन सिंहजी जसोल ‘जसोल गढ़’ गांव पोस्ट जसोल, जिला बाड़मेर – 344024 मालानी हाउस, 6, ओल्ड रेजीडेंसी रोड़, जोधपुर – 342003 |
उपाध्यक्ष |
4 | मेजर जनरल शेर सिंह (से.नि.) मोती विलास, 60, ओल्ड पब्लिक पार्क, जोधपुर |
महामंत्री |
5 | ब्रिगेडियर शक्ति सिंह (से.नि.) 14/7, वीर दुर्गादास नगर, पावटा ‘बी’ रोड़, जोधपुर। |
न्यासी |
6 | स्वामी प्रतापपुरीजी महाराज महंत तारातरा मठ, जसदेर धाम, उतरलाई रोड़, बाड़मेर -344001 |
न्यासी |
7 | राजा गजेन्द्र सिंहजी खींवसर 17/8, खींवसर हाऊस, मुख्यमंत्री निवास के सामने, सिविल लाईन्स, जयपुर -302001 (राज.) |
न्यासी |
8 | श्री उम्मेद सिंहजी आराबा गांव पोस्ट आराबा, तहसील पचपदरा, वाया कल्याणपुर जिला बाड़मेर – 344026 |
मंत्री |
9 | ठा. भवानी सिंहजी पाल पाल हवेली, गिरदी कोट, जोधपुर -342001 |
न्यासी |
10 | ले. कर्नल मानवेन्द्र सिंहजी जसोल जसोल हाउस, पावटा ‘बी/4’ रोड़, जोधपुर – 342010 |
न्यासी |
11 | श्री राजेष धनराजजी राठी 13/2, धनराज निवास, सुखसागर नगर, कात्रज-पुणे, 411046 (महाराष्ट्र) |
न्यासी |
12 | डॉ. समरजीत सिंहजी दासपां, ‘‘शक्ति भवन’’ पावटा ‘सी’ रोड़ अन्डर ब्रीज के पास, जोधपुर – 342010 पाल मोटर्स, कृषि मण्डी के सामने, भीनमाल, जिला जालौर |
न्यासी |
प्रबन्धन समिति
ट्रस्ट मंडल ने दिनांक 28.05.2016 को मन्दिर के प्रबंधन हेतु ट्रस्ट के विधानानुसार 51 सदस्यों की प्रबंधन समिति का तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए पुर्नगठन किया है जो समय-समय पर अपना सहयोग प्रदान करते रहते है। मंदिर के दैनिक प्रबन्ध हेतु कार्यकुषल व अनुभवी वरिष्ठ प्रबन्धक व अन्य कर्मचारी नियुक्त किये गये हैं।
नव मंदिर निर्माण
जनभावना का आदर करते हुए ट्रस्ट मंडल ने प्राचीन मंदिर के वास्तुदोष का निवारण करते हुए नया भव्य मंदिर का निर्माण वास्तुषास्त्र के अनुसार जन-सहयोग से दिनांक 13.02.2009 से प्रारम्भ किया, जो सुचारू रूप से प्रगति पर है।
मां नागणेच्या माता की ऐतिहासिक मूर्ति को यथास्थान रखते हुए गर्भगृह का निर्माण उच्चकोटि के संगमरमर से निर्मित किया गया है जिसका सुंदर दरवाजा सोना रुपा नक्काषी काम का लगाया जा चुका है।
गर्भगृह में अलमारियों के चांदी के नक्काषीदार दरवाजे लगाये जा चुके है। अन्य पांच दरवाजे जर्मन सिल्वर के सुंदर नक्काषीदार बनाये जाकर लगाये जा चुके हैं। निज मंदिर में एक सुन्दर पिछवाई सोना रूपा कार्य की लगाई गई है। चांदी के सुन्दर नक्काषीदार तीन भेंट पात्र मंदिर में रखे गये हैं।
मुख्य मूर्ति के ऊपर छत्र के रूप में शास्त्रों के अनुसार पांच फनों वाला चांदी का 11 फुट लम्बा नाग स्थापित किया गया है।
परिक्रमा हेतु चांदी की सुन्दर पालकी भी भक्तों द्वारा भेंट की गई है।
मंदिर के स्तम्भ इत्यादि उच्चकोटि के मकराना संगमरमर के लगाये गये हैं जिनके चारों ओर निर्धारित स्थानों पर वास्तुशास्त्र व धर्मषास्त्रों के अनुसार विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां विभिन्न मुद्राओं, आयुद्धों एवं वाहनों के साथ उड़ीसा से लाए गये कुषल कारीगरों द्वारा उकेरी जा रही है जो षिल्प ओर वास्तु कला का अद््भुत नमूना है।
राव धूहड़जी व गुरू पीथड़जी की मूर्तियां स्थापित करने हेतु गोखले बनाये जा चुके हैं।
मंदिर की उच्च कोटि के संगमरमर की सुन्दर सीढ़ियों का कार्य पूर्ण हो चुका है। इन सीढ़ियों के बाद चबुतरे पर जो नक्काषीदार संगमरमर के खम्भें लगे है उन पर हिण्डोलक तोरण लगाये जायेंगे।
1. षिखर – मंदिर के विषाल षिखर का कार्य पूर्ण हो चुका है जिसमें कलष, ध्वजा इत्यादि का कार्य किया जाना है।
2. गुबन्द – मंदिर के भव्य गुम्बद का अन्दरूनी हिस्सा उच्चकोटि के संगमरमर का नक्काषी एवं घड़ाई से निर्मित हो चुका है तथा गुम्बद बन चुका है।
3. झरोखे – जोधपुर पत्थर से बनी बाहरी दीवारों पर यथास्थान संगमरमर के कलात्मक सात झरोखे लगाये जा चुके हैं।
4. यज्ञषाला – मंदिर के सामने वास्तु शास्त्र के अनुसार एक भव्य यज्ञषाला (हवनकुण्ड) का निर्माण किया जा रहा है जो पूर्ण होने वाला है। हवनकुण्ड की संगमरमर की सीढ़ियों का कार्य प्रगति पर है।
5. प्रवेष द्वार – मंदिर की भव्यता हेतु दो मुख्य प्रवेष द्वार राव धूहड़जी द्वार तथा गुरु पीथड़जी द्वार जोधपुर पत्थर से बनाये जा चुके है। राव धूहड़जी द्वार का निर्माण श्री मदरूपचन्द जी लीलाजी मोहनोत निवासी सांचौर की पुण्य स्मृति में उनकी धर्मपत्नी श्रीमति सतीदेवी व उनके परिवार द्वारा करवाया गया तथा गुरू पीथड़जी द्वार का निर्माण सोढ़ा राजपुरोहित समाज के सहयोग से किया गया है।
यात्रियों के लिए सुविधाएं-
1. धर्मषाला – दर्षनार्थीयों के लिए 42 कमरों की आधुनिक सुविधायुक्त धर्मषाला का निर्माण हो चुका है जिसमें ए.सी. व नॉन ए.सी. कमरें उचित दरों पर उपलब्ध है।
2. भोजनषाला – एक अत्याधुनिक भोजनषाला का निर्माण पूर्ण हो चुका है जिसमें यात्रियों को बहुत कम मूल्य पर शुद्ध व सातविक भोजन उपलब्ध करवाया जाता है।
3. पाकषाला – इसी प्रकार जो यात्री स्वयं भोजन प्रसाद बनाना चाहे उनके लिए सुविधा युक्त पाकषाला व भोजन करने हेतु अलग स्थान का निर्माण किया जा चुका है।
4. अनाज भण्डार – भाविको द्वारा दिये जाने वाले गेंहू, बाजरी, चावल इत्यादि के भण्डारण हेतु एक आधुनिक अनाज भण्डार का निर्माण किया जा चुका है जिसमें व्यवस्थित ढ़ंग से भण्डारण किया जाता है ताकि वर्षा अथवा कीट द्वारा कोई नुकसान नहीं हो।
5. जलगृह – भक्तों के सहयोग से यात्रियों की सुविधा हेतु नवनिर्मित धर्मषाला के चौक में तथा वर्तमान पोल के बाहर शीतल एवं शुद्ध जल की व्यवस्था हेतु प्याऊ बनाई गई है। इसी प्रकार कार्यालय के सामने भी पानी की व्यवस्था हेतु प्याऊ संचालित की जा रही है। इसके अलावा पार्किंग एवं धूहड़जी गेट के बाहर दो अति आधुनिक जलगृह प्रस्तावित है जिनका निर्माण शीघ्र किया जायेगा।
अन्य धर्मषाला एवं पार्किंग –
1. सोढ़ा राजपुरोहित समाज विश्राम गृह का निर्माण प्रारम्भ हो गया है। जो सुविधाजनक करीब 41 कमरों की धर्मषाला होगी।
2. देवस्थान विभाग द्वारा भी यात्रियों की सुविधा हेतु दो मंजिला आधुनिक यात्री विश्रामगृह का निर्माण पूर्ण हो चुका है जिनमें सभी सुविधाएं उपलब्ध है।
3. इसी प्रकार देवस्थान विभाग द्वारा मास्टर प्लान में चयनित स्थान पर करीब 2500 वर्ग मीटर का वाहन पार्किंग स्थल बनाया गया है जिसके पास महिला एवं पुरूषो के लिए सुलभ कॉम्पलेक्स का निर्माण किया गया है।
4. मंदिर अधिकारियों / कर्मचारियों के रहने हेतु सुविधायुक्त आवास गृह का निर्माण कार्य पूर्णतया की ओर है।
धार्मिक आयोजन / वार्षिक कार्यक्रम –
1. आसोजी नवरात्र – आसोज माह में शुक्ल पक्ष में एकम से लेकर नवमी तक आसोजी नवरात्रा का आयोजन किया जाता है। धार्मिक आयोजन पण्डित श्री षिवप्रसादजी दवे बालोतरा द्वारा सम्पन्न किये जाते है।
2. चैत्री नवरात्रा (माताजी का पाटोत्सव एवं राव धूहड़जी जयन्ती) – चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की एकम से नवमी तक चैत्र नवरात्रा का आयोजन किया जाता है। चैत्र सूदी सप्तमी को माताजी का पाटोत्सव एवं राव धूहड़जी जयन्ती समारोह का आयोजन भव्य रूप से किया जाता है जो वार्षिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध सन्तो / मठाधीषो को आमंत्रित किया जाता है। इस कार्यक्रम में महाराजा साहब एवं महारानी साहिबा भी पधारते है। सभी ट्रस्टी गण एवं प्रबन्धन समिति के सदस्य गण उपस्थित होते है। इस उत्सव में दानदाताओं तथा मंदिर में अच्छा कार्य करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया जाता है।
3. मां नागणेच्या माता के सीधे दर्षन की व्यवस्था है। जिसका लिंक – https://youtu.be/TYewCvYMNBg है।
दान / सहयोग करे –
मंदिर निर्माण का कार्य दु्रतगति से चल रहा है जिस हेतु हर वर्ग का सहयोग अपेक्षित है। आप अपनी सहयोग राषि निचे दिये गये बैंक में जमा कर अपना सहयोग दे सकते है।
1. भक्तगणों द्वारा UPI के माध्यम से online सहयोग राषि भेंट करने हेतु SBI, मंडली के खाते से जुड़ा QR Code की सुविधा उपलब्ध करवा दी गई है, जिससे भेंट राषि देने वाले भक्तगण QR Code को स्कैन कर UPI से सीधे बैंक खाते में राषि जमा करवा सकते है।
सीधा भुगतान लिंक – https://www.onlinesbi.com/sbicollect/icollecthome.htm?corpID=4206357
2. सहयोग राषि बैंक ड्राफ्ट/चैक/ऑनलाइन बैंकिंग ‘मां नागणेच्या माता ट्रस्ट नागाणा’ के नाम से या स्वयं द्वारा मंदिर में भेंट की जा सकती है।
3. ट्रस्ट का बचत बैंक खाता सं. 61040098651
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, कल्याणपुर शाखा, जिला बाड़मेर।
IFSC Code – SBIN0031492
4. ट्रस्ट का चालू खाता सं. 39957113666
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, मण्डली शाखा, जिला बाड़मेर।
IFSC Code — SBIN0032113
5. दान दी गई राषि धारा 80 G के अन्तर्गत मान्य है।
PAN – AACTM 2574K
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